 
									मौनी अमवस्या के दिन प्रयागराज महाकुंभ में हुई भगदड़ को लेकर दाखिल की गयी याचिका को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने रद्द करते हुए योगी सरकार को बड़ी राहत दी है। हाई कोर्ट में दाखिल पीआईएल याचिका में महाकुंभ के दौरान हुई भगदड़ की जांच सीबीआई से कराने की मांग कोर्ट से की गई थी। इस याचिका की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस अरुण भंसाली और जस्टिस क्षितिज शैलेंद्र की डिवीजन बेंच ने सुनाया फैसला कि एक तो राज्य सरकार अपने विवेक से आयोग गठित कर सकता है और दूसरा राज्य विधान मंडल में प्रस्ताव पारित कर राज्य सरकार आयोग गठित कर सकती है।
याची विजय प्रताप सिंह के वकील ने अपनी दलील देते हुए कहा कि जांच आयोग अधिनियम 1952 की अनदेखी कर बनाया गया है और आयोग को केवल राज्य विधान मंडल में प्रस्ताव पारित करके ही गठित किया जा सकता है। उन्होंने आयोग को नियम विरूद्ध बताते हुए आयोग को रद्द करने की मांग की थी।
महाकुंभ में हुई भगदड़ की जांच के लिए राज्य सरकार ने सेवानिवृत्त जज हर्ष कुमार की अध्यक्षता में न्यायिक जांच आयोग का गठन किया था, जिसमें पूर्व आईएएस डीके सिंह और पूर्व आईपीएस वीके गुप्ता सदस्य थे।




