भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा 11 दिसंबर से तीन साल के लिए आरबीआई की कमान संभालेंगे। वह शक्तिकान्त दास का स्थान लेंगे। वह ऐसे समय में केंद्रीय बैंक की कमान संभालने जा रहे हैं जब इंडियन इकोनॉमी की रफ्तार सुस्त पड़ चुकी है और आम जनता पर आसमान छूती महंगाई की मार है। मल्होत्रा को इन दोनों बड़ी चुनौतियों से पार पाना होगा। दास ने महंगाई को काबू करने के लिए करीब दो साल से रेपो रेट में बदलाव नहीं किया लेकिन इससे खासा सफलता नहीं मिली। अक्टूबर में खुदरा मुद्रास्फीति की दर बढ़कर 14 महीने के उच्चतम स्तर 6.21 प्रतिशत पर पहुंच गई। इतना ही नहीं वृद्धि की रफ्तार भी धीमी हुई है। जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर जुलाई-सितंबर में घटकर सात तिमाहियों में सबसे निचले स्तर 5.4 प्रतिशत पर रही।
दास का नेतृत्व और योगदान
शक्तिकांत दास के नेतृत्व में भारतीय रिजर्व बैंक ने कई महत्वपूर्ण आर्थिक निर्णय लिए, जिनमें महामारी के दौरान देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने के लिए किए गए कई कदम शामिल थे। उनके कार्यकाल के दौरान आरबीआई ने आर्थिक सुधार, वित्तीय स्थिरता और मुद्रा नीति में कई अहम कदम उठाए, जिनकी सराहना की गई।
दास के कार्यकाल में भारत की मौद्रिक नीति को स्थिरता मिली, और उन्होंने भारतीय रिजर्व बैंक को वैश्विक आर्थिक चुनौतियों से निपटने के लिए सक्षम बनाया। उनका योगदान भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण माना गया है, और उन्होंने आरबीआई को संस्थागत स्थिरता और वित्तीय समावेशन के लिए कई योजनाओं का हिस्सा बनाया।
नए गवर्नर के लिए उम्मीदें
आरबीआई गवर्नर के रूप में दास का कार्यकाल समाप्त होने के बाद अब नए गवर्नर के नेतृत्व में भारतीय रिजर्व बैंक की दिशा और रणनीतियों को लेकर उम्मीदें जगी हैं। दास ने अपने पोस्ट में भारतीय रिजर्व बैंक के भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी और उम्मीद जताई कि केंद्रीय बैंक देश की आर्थिक वृद्धि को समर्थन देने के लिए मजबूत और प्रभावी उपायों को लागू करेगा।
दास का यह आभार संदेश उनके प्रभावी नेतृत्व और समर्पण को दर्शाता है, जिसने भारतीय रिजर्व बैंक को देश की आर्थिक चुनौतियों से निपटने में मदद की और वित्तीय प्रणाली को स्थिर बनाए रखा।