
दिल्ली में 27 साल बाद भाजपा की सरकार
केजरीवाल और सिसोदिया चुनाव हारे, आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका
आतिशी ने जीत दर्ज की, पार्टी की साख बचाने में आंशिक सफलता
भाजपा 48 सीटों पर आगे, पूर्ण बहुमत की ओर
आप के कई बड़े नेता हारे, पार्टी के लिए मुश्किल हालात
कांग्रेस का प्रदर्शन कमजोर, सिर्फ कुछ सीटों पर बढ़त
भाजपा नेता प्रवेश वर्मा ने अमित शाह से की मुलाकात
दिल्ली की राजनीति में बड़ा बदलाव, भाजपा की ऐतिहासिक वापसी
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे चौंकाने वाले रहे। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 27 साल बाद दिल्ली की सत्ता में वापसी की है। आम आदमी पार्टी (AAP) को भारी नुकसान हुआ, जबकि कांग्रेस इस बार भी एक भी सीट जीतने में नाकाम रही।
भाजपा ने 48 सीटों पर बढ़त बना ली है, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि दिल्ली में उसकी सरकार बनना तय है। पार्टी ने इस बार आक्रामक चुनाव प्रचार किया था, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की रैलियों ने अहम भूमिका निभाई।
दिल्ली के तीन बार के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपनी पारंपरिक सीट नई दिल्ली से हार गए। भाजपा उम्मीदवार प्रवेश वर्मा ने उन्हें लगभग 3,000 वोटों से हराया। यह हार AAP के लिए बड़ा झटका है, क्योंकि यह सीट केजरीवाल का गढ़ मानी जाती थी।
AAP के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी जंगपुरा सीट से हार गए,
AAP की नेता आतिशी ने कालकाजी सीट से जीत हासिल की है। हालांकि, पार्टी को भारी नुकसान झेलना पड़ा है। 2020 के चुनाव में 62 सीटें जीतने वाली AAP इस बार 22 सीटों तक सिमट गई है।
दिल्ली में भाजपा की जीत के बाद पार्टी मुख्यालय में जश्न का माहौल है। भाजपा कार्यकर्ताओं ने मिठाइयां बांटी और पटाखे फोड़े। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह शाम को पार्टी कार्यालय में कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे।
नई दिल्ली सीट से जीतने के बाद भाजपा नेता प्रवेश वर्मा ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। वर्मा ने कहा कि दिल्ली की जनता ने केजरीवाल सरकार को उसकी नीतियों के कारण नकार दिया है।
दिल्ली में 27 साल बाद भाजपा की सरकार बनने जा रही है। 1993 में भाजपा ने आखिरी बार दिल्ली में पूर्ण बहुमत से सरकार बनाई थी। उसके बाद 1998 से 2013 तक कांग्रेस की सरकार रही और 2015 व 2020 में AAP ने भारी बहुमत से जीत हासिल की थी
कांग्रेस को लगातार दूसरी बार दिल्ली में एक भी सीट नहीं मिली। हालांकि, उसका वोट प्रतिशत 2% बढ़ा है, लेकिन वह किसी भी सीट पर जीत हासिल नहीं कर सकी।