Kedarnath by-election: केदारनाथ में 20 नवंबर को होगा मतदान, सीएम धामी ने त्रियुगीनारायण मंदिर में पूजा- अर्चना कर किया लोगों से संवाद

KNEWS DESK : उत्तराखंड के केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र में होने वाले उपचुनाव को लेकर भाजपा और कांग्रेस दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दलों ने पूरी ताकत झोंक दी है। इस उपचुनाव का कारण दिवंगत विधायक शैलारानी रावत का निधन है, जिसके बाद यहां 20 नवंबर को मतदान होगा और 23 नवंबर को मतगणना होगी। लगभग 92,000 मतदाताओं वाले इस क्षेत्र में दोनों दलों की ओर से चुनावी प्रचार तेज कर दिया गया है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का केदारनाथ दौरा

आपको बता दें कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने चुनावी अभियान के तहत शनिवार को त्रियुगीनारायण मंदिर पहुंचकर पूजा-अर्चना की। इसके बाद उन्होंने तीर्थ पुरोहितों से मुलाकात की और उनके साथ संवाद किया। सीएम धामी केदारनाथ क्षेत्र में सोनप्रयाग, त्रियुगीनारायण और अन्य प्रमुख स्थानों पर प्रचार के लिए पहुंचे हैं। मुख्यमंत्री का यह दौरा भाजपा की रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत वे क्षेत्र के हर कोने में जाकर लोगों से संपर्क करने का प्रयास कर रहे हैं और सीएम धामी ने स्वयं क्षेत्र भ्रमण की जिम्मेदारी ली है। भाजपा कार्यकर्ताओं के अलावा सरकार के मंत्री और अन्य पदाधिकारी भी गांव-गांव जाकर जनता से मुलाकात कर रहे हैं और अपने पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

भाजपा की चुनावी रणनीति

भाजपा ने केदारनाथ विधानसभा सीट पर जीत सुनिश्चित करने के लिए पार्टी के हर स्तर के कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी सौंपी है। मंडल से लेकर बूथ स्तर तक के कार्यकर्ताओं की मॉनीटरिंग की जा रही है। इसके साथ ही, जिला और ब्लॉक स्तर के पदाधिकारियों को दूरस्थ गांवों में जनसंपर्क के लिए भेजा गया है, ताकि उन्हें प्रतिदिन की रिपोर्ट मिल सके और चुनावी रणनीति को बेहतर बनाया जा सके।

भाजपा का मुख्य उद्देश्य इस उपचुनाव में किसी भी स्तर पर कमी नहीं रखना है। इसके लिए प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री, विधायक और अन्य नेता सक्रिय रूप से मतदाताओं से संपर्क कर रहे हैं। पार्टी का मानना है कि प्रत्येक वोट की अहमियत है और जितने अधिक संपर्क साधे जाएंगे, उतना ही पार्टी के पक्ष में माहौल बनेगा।

कांग्रेस की चुनावी तैयारी

वहीं, कांग्रेस भी केदारनाथ उपचुनाव के लिए अपनी पूरी ताकत झोंकने के लिए तैयार है। कांग्रेस ने अपनी चुनावी रणनीति में आपदा प्रभावितों की समस्याओं को प्रमुख मुद्दा बनाया है। पार्टी ने इस क्षेत्र में आपदा राहत और पुनर्निर्माण कार्यों के दौरान हुई समस्याओं को उठाते हुए सरकार की विफलताओं को मुद्दा बनाने की कोशिश की है।

कांग्रेस ने “केदारनाथ प्रतिष्ठा रक्षा यात्रा” का आयोजन भी किया था, जिसका उद्देश्य पार्टी के पक्ष में जनसमर्थन जुटाना था। इस यात्रा के माध्यम से कांग्रेस ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि वे केदारनाथ की धार्मिक और सांस्कृतिक प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। पार्टी की योजना इस चुनाव में स्थानीय मुद्दों को केंद्रित करते हुए अपने पक्ष में माहौल बनाने की है।

23 नवंबर को उपचुनाव की मतगणना

केदारनाथ उपचुनाव की मतगणना 23 नवंबर को होगी, और इस चुनावी दंगल में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल अपनी पूरी ताकत झोंकने के लिए तैयार हैं। भाजपा जहां अपनी सरकार की उपलब्धियों को गिनाकर और संगठन के स्तर पर मजबूत अभियान चलाकर जीत का दावा कर रही है, वहीं कांग्रेस आपदा राहत, स्थानीय समस्याओं और धार्मिक मुद्दों को लेकर जनता को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश कर रही है।

वर्तमान स्थिति में केदारनाथ उपचुनाव न केवल क्षेत्रीय चुनावी रणनीतियों का परीक्षण करेगा, बल्कि यह राज्य की राजनीति में भी महत्वपूर्ण मोड़ ला सकता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि केदारनाथ के लोग किस पार्टी को अपने मतों से समर्थन देते हैं और किसका चुनावी अभियान सफल होता है।

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