Economy: भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की ओर से आयोजित ग्लोबल इकोनॉमी फोरम 2024 में बोलते हुए नागेश्वरन ने वैश्विक आर्थिक अनिश्चतताओं से निपटते हुए दीर्घकालिक विकास दर को बनाए रखने के महत्व पर प्रकाश डाला। इस दौरान उन्होंने कहा कि दूसरी तिमाही में कमजोरी के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था चालू वित्तीय वर्ष में अनुमानित वृद्धि दर हासिल कर सकती है। आइए इस बारे में विस्तार से जानें।
भारत चालू वित्त वर्ष में पूर्व अनुमानित 6.5 से 7 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर हासिल करने की राह पर है। सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने गुरुवार को यह बात दोहराई। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की ओर से आयोजित ग्लोबल इकोनॉमी फोरम 2024 में बोलते हुए नागेश्वरन ने वैश्विक आर्थिक अनिश्चतताओं से निपटते हुए दीर्घकालिक विकास दर को बनाए रखने के महत्व पर प्रकाश डाला।
उन्होंने पूंजी निर्माण, इनोवेशन और संतुलित विकास जैसे प्रमुख घरेलू कारकों को मजबूत बनाने पर जोर दिया। नागेश्वरन ने चालू वित्तीय वर्ष की दूसरी तिमाही के दौरान देश की आर्थिक वृद्धि दर में आई सुस्ती पर भी बात की और दोहराया कि भारत अपने राजकोषीय लक्ष्यों को हासिल करने की राह पर है। उन्होंने पूंजी निर्माण को विकास के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण माना और कहा कि अगले पांच वर्षों में निजी क्षेत्र की भागीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है। ऐसा कंपनियों की बेहतर लाभप्रदता और मजबूत बैलेंस शीट से संभव हो सकेगा। उन्होंने कृषि, एमएसएमई और ऊर्जा सुरक्षा को भी महत्वपूर्ण बताते हुए कहा, “विकास को बनाए रखने के लिए इन क्षेत्रों को लक्ष्य आधारित समर्थन की आवश्यकता है।”
मुख्य आर्थिक सलाहकार ने भारत के युवाओं में मानसिक स्वास्थ्य की बढ़ती चुनौती से निपटने की आवश्यकता पर जोर दिया। स्क्रीन की लत, गतिहीन जीवनशैली और खराब खान-पान जैसी समस्याएं इन चिंताओं को और बढ़ा रही हैं। उन्होंने कहा, “यह केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि समाज और निजी क्षेत्र की भी जिम्मेदारी है। अगर भारत को जनसांख्यिकीय लाभांश का लाभ उठाना है, तो भारतीयों को न केवल शारीरिक रूप से स्वस्थ होना चाहिए, बल्कि मानसिक रूप से भी स्वस्थ होना चाहिए।”