
उत्तराखंड राज्य में सोमवार से समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू होने जा रही है, जो समाज में कई महत्वपूर्ण बदलावों का कारण बनेगी। यूसीसी के तहत, राज्य में नागरिक अधिकारों को एक समान रूप से लागू किया जाएगा, जिससे विभिन्न समुदायों, जातियों और धर्मों के लोगों के लिए समान कानून होंगे। इस नई व्यवस्था का उद्देश्य समाज में समानता, न्याय और एकता को बढ़ावा देना है।
शादी का अनिवार्य रजिस्ट्रेशन- अब से राज्य में शादी का अनिवार्य रूप से रजिस्ट्रेशन कराना होगा। इसके लिए ग्राम सभा स्तर पर रजिस्ट्रेशन की सुविधा दी जाएगी, जिससे यह प्रक्रिया सरल और सुलभ बनेगी। इस कदम से न केवल विवाह की वैधता सुनिश्चित होगी, बल्कि यह अवैध विवाह और उत्पीड़न की समस्याओं को भी नियंत्रित करेगा।
तलाक और हलाला जैसी प्रथाओं पर नियंत्रण- यूसीसी लागू होने के बाद, तलाक का कानून सभी धर्मों और जातियों के लिए समान होगा। इससे कोई भी व्यक्ति तलाक लेने के लिए एक समान प्रक्रिया का पालन करेगा। इसके साथ ही, हलाला जैसी सामाजिक कुप्रथाएँ भी बंद हो जाएंगी, जो महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन करती हैं। बहुविवाह पर भी रोक लगेगी, जो समाज में असमानता को बढ़ावा देती थी।
लड़कियों की शादी की उम्र और उत्तराधिकार में समानता- इस नए कानून के तहत लड़कियों की शादी की उम्र, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति से संबंधित हों, अब सभी के लिए समान होगी। यह सुनिश्चित करेगा कि हर लड़की को अपनी शिक्षा और करियर पर ध्यान देने का पूरा मौका मिले। इसके अलावा, उत्तराधिकार के मामलों में भी लड़कियों को लड़कों के बराबर हिस्सेदारी मिलेगी, जो अब तक एक बड़ी सामाजिक असमानता थी।
गोद लेने का समान अधिकार- यूसीसी के तहत, सभी धर्मों के लोगों को बच्चों को गोद लेने का समान अधिकार मिलेगा। हालांकि, गोद लेने की प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण शर्त यह होगी कि किसी व्यक्ति को दूसरे धर्म के बच्चे को गोद लेने की अनुमति नहीं होगी। यह कदम विभिन्न धर्मों के बीच बच्चों के अधिकारों को सुनिश्चित करने और पारिवारिक संरचनाओं को सुदृढ़ करने की दिशा में एक अहम कदम है।
समान नागरिक संहिता का उद्देश्य सभी नागरिकों को समान अधिकार देना और धार्मिक, जातीय और सांस्कृतिक भेदभाव को समाप्त करना है। उत्तराखंड में इस कानून के लागू होने के बाद, यह उम्मीद की जा रही है कि यह पूरे देश के लिए एक आदर्श बन सकता है और समाज में समानता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।
इस बदलाव के साथ, उत्तराखंड ने एक नई दिशा की ओर कदम बढ़ाया है, जो समाज में समरसता और समानता को बढ़ावा देगा। यह कदम न केवल महिलाओं और बच्चों के अधिकारों की रक्षा करेगा, बल्कि राज्य के नागरिकों के बीच समानता और न्याय की भावना को भी प्रोत्साहित करेगा।