इन दिनों देश में मौसम तेजी से बदल रहा है, जहां एक ओर ठंड बढ़ रही है तो वहीं दूसरी ओर प्रदूषण के चलते लोगों का दम घुट रहा है. ठंड हो या प्रदूषण, दोनों ही दिल की सेहत के किए खराब हैं, ऐसे में बिल्कुल लापरवाही नहीं करनी चाहिए, दिल से जुड़े मिलने वाले संकेतों को समझना चाहिए. दिल की खराबी होने पर हमारा शरीर कुछ संकेत देने लगता है. दरअसल में जैसे-जैसे ठंड बढ़ती है, दिल पर दबाव बढ़ता है, क्योंकि ठंड में धमनियों के सिकुड़ने से बीपी हाई हो जाता है और हृदय पर दबाव बढ़ जाता है. इसलिए सर्दियों में दिल की बीमारियों के साथ-साथ हार्ट अटैक के मामले भी बढ़ने लगते हैं.
अक्सर देखने को मिलता है कि ठंड के दिनों में लोगों की पिजिकल एक्टिविटी कम हो जाती है. लोग ठंड के चलते घर से कम बाहर निकलते हैं. ऐसे में ये आलस्य दिल के लिए खतरा बढ़ा देता है, इसके अलावा जो लोग सांस संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं उनमें निमोनिया के कारण हार्ट फेल होने की संभावना भी 6 गुना अधिक बढ़ जाती है.
हालांकि ऐसा जरूरी नहीं कि सिर्फ सर्दियों में ही दिल का ख्याल रखा जाए बल्कि हर मौसम में दिल का ख्याल रखना जरूरी है. पिछले 32 सालों में कार्डियोवैस्कुलर बीमारी से होने वाली मौत के मामलों में 60 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है आपको जानकर हैरानी होगी कि हर साल 2 करोड़ लोगों की मौत सिर्फ हार्ट अटैक से होती है. इसलिए दिल को स्वस्थ रखने के लिए 6-7 घंटे की नींद लें. इसके साथ ही दिल स्वस्थ रहे इसके लिए हर दिन 30-40 मिनट योगाभ्यास जरूर करें.





