देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना ने उन वरिष्ठ वकीलों की मांग को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने अदालतों में पूरी तरह से वर्चुअल कामकाज की अनुमति देने की बात की थी। वकीलों का यह अनुरोध दिल्ली में प्रदूषण की गंभीर स्थिति को देखते हुए किया गया था, ताकि वकील और न्यायधीश स्वास्थ्य के खतरे से बच सकें।
मुख्य न्यायाधीश ने इस मांग पर स्पष्ट रूप से कहा कि अदालतें अब हाइब्रिड मोड में काम कर रही हैं, यानी ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से सुनवाई जारी है। उन्होंने वकीलों से यह भी कहा कि वे अगर चाहें तो अपनी सुनवाई के लिए वर्चुअल मोड का विकल्प चुन सकते हैं, लेकिन पूरी तरह से वर्चुअल सुनवाई की व्यवस्था नहीं की जाएगी।
यह स्थिति उस समय उत्पन्न हुई जब दिल्ली में वायु प्रदूषण की स्थिति अत्यधिक गंभीर हो गई है, जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। इस संदर्भ में वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने प्रधान न्यायाधीश से अपील की थी कि अदालतों में सुनवाई पूरी तरह से वर्चुअल कर दी जाए। उनका तर्क था कि दिल्ली में प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है, और ऐसे में न्यायधीशों और वकीलों के स्वास्थ्य को खतरा हो सकता है।
इस पर मुख्य न्यायाधीश ने जवाब देते हुए कहा कि हाइब्रिड सुनवाई, जो कि पहले से लागू की जा चुकी है, का विकल्प अभी भी मौजूद रहेगा। यदि वकील या न्यायधीश किसी कारणवश कोर्ट में physically उपस्थित नहीं हो पाते हैं, तो वे वर्चुअल सुनवाई का सहारा ले सकते हैं। लेकिन अदालतों को पूरी तरह से वर्चुअल मोड में बदलने का कोई विचार नहीं है।





